एमपी संजीव अरोड़ा ने टीसीएस और 2000 रुपये के नोट को सिस्टम से वापस लेने पर कड़ी प्रतिक्रिया दी

केंद्र सरकार और आरबीआई के दो फैसलों पर प्रतिक्रिया देते हुए सांसद (राज्यसभा) संजीव अरोड़ा ने चिंता जताई है।आज यहां एक बयान में स्रोत पर कर संग्रह (टीसीएस) पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए अरोड़ा ने कहा कि 20 प्रतिशत की दर बहुत अधिक है। उन्होंने कहा कि खर्च की गई राशि पर 20 फीसदी का टीसीएस आय के करीब 70 फीसदी के बराबर है।

यदि कर्मचारी या पेशेवर अपने कार्ड पर पैसा खर्च करते हैं, जिसकी प्रतिपूर्ति नियोक्ता और ग्राहक करते हैं, तो उन्हें टीसीएस समायोजित करने में समस्या होगी। व्यक्तिगत क्रेडिट कार्ड व्यक्तिगत पैन कार्ड के साथ बनाए जाते हैं।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह कदम डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करने के खिलाफ है, जिसे सरकार आमतौर पर प्रोत्साहित करती है। यह कदम विदेशों में आगंतुकों को आरबीआई द्वारा अनुमति के अनुसार नकद में पैसा लेने के लिए प्रोत्साहित करता है।”

सुझाव देते हुए उन्होंने कहा, “मेरा सुझाव है कि वित्त मंत्रालय इस पर फिर से विचार करे और सुझाव के अनुसार टीसीएस को घटाकर 5 प्रतिशत कर दे और टीसीएस को समायोजित करते हुए प्रतिपूर्ति कैसे की जा सकती है, इस पर कुछ अधिसूचना जारी करें।”

इसके अलावा, 2000 रुपये मूल्यवर्ग के नोटों पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि इन नोटों को वापस लेना अर्थव्यवस्था में एक व्यवधान है।

उन्होंने कहा कि भारतीय मुद्रा में विश्वास टूट जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि 10 के नोट बदलने का तर्क स्पष्ट नहीं है। साथ ही, गृहिणियों के पास कई बार बचत होती है जो इस मूल्यवर्ग में हो सकती है। ऐसे नागरिकों को अपने खातों में जमा करने के लिए कुछ न्यूनतम थ्रेश होल्ड की घोषणा की जानी चाहिए, जिस पर बाद में सवाल नहीं उठाया जाएगा।

नोटबंदी के पिछले दौर को याद करते हुए अरोड़ा ने यह भी कहा कि बाद में जमा वैध होने पर भी आयकर अधिकारियों की ओर से काफी प्रताड़ित किया जाता है।

उन्होंने कहा कि लोग अभी भी पिछले नोटबंदी के आघात से गुजर रहे हैं और अब यह आंशिक नोटबंदी सामने आई है। उन्होंने वित्त मंत्री से उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया।

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