पंजाब के ग्रामीण विकास और पंचायत मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने गुरुवार को राज्य के सभी जिला विकास और पंचायत अधिकारियों (डीडीपीओ) को स्पष्ट रूप से निर्देश दिया कि वे 10 जून तक राज्य भर में सभी सरकारी पंचायत भूमि पर अवैध कब्जे को हटा दें।
उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष प्रथम चरण में लगभग 9400 एकड़ शासकीय पंचायती भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त कराया गया है और इस वर्ष मुख्यमंत्री भगवंत मान के उद्देश्य को पूरा करने के लिए इस अभियान में तेजी लाई जानी चाहिए।
धालीवाल ने कहा कि 10 जून तक न्यायालय संबंधी प्रकरणों के अलावा शेष सभी शासकीय पंचायत भूमि पर से अवैध कब्जा मुक्त कराया जाये। गौरतलब है कि द्वितीय चरण में अन्य शासकीय पंचायत की 469 एकड़ भूमि को अवैध कब्जे से मुक्त करा लिया गया है।
स्थानीय पंजाब भवन में राज्य के सभी डीडीपीओ की बैठक की अध्यक्षता करते हुए धालीवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सभी विभागों को लोगों को पारदर्शी और भ्रष्टाचार मुक्त प्रशासन मुहैया कराने का स्पष्ट निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के उद्देश्य के अनुरूप किसी भी भूमि की बोली के दौरान किसी भी प्रभावित व्यक्ति या राजनीतिक नेता की सिफारिश को स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। प्रत्येक भूमि की बोली पारदर्शी तरीके से और बिना किसी सिफारिश के आयोजित की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि शामलात की जमीनों की बोली लगाने के लिए न्यूनतम 15 हजार रुपये निर्धारित की जाएगी और सफल बोली लगाने वाले से नकद राशि वसूल की जाएगी। उन्होंने इस बात को गंभीरता से लिया कि राज्य में कई जोतों को छोटे-छोटे पट्टे पर दिया जा रहा है, जिससे सरकारी खजाने को भारी नुकसान हो रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसी सभी जमीनों पर जो लीज पर नहीं दी जा सकी हैं, उनके उपयोग के लिए वनीकरण अभियान 1 जुलाई से शुरू किया जाएगा। धालीवाल ने कहा कि इस कदम का मकसद मनरेगा के तहत काम करने वाले लोगों को रोजगार देना और पर्यावरण की रक्षा में मदद करना है।
इस मौके पर धालीवाल ने डीडीपीओ को राजस्व प्रशिक्षण देने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी सीधे तौर पर भूमि मामलों से जुड़े होते हैं, इसलिए उन्हें राजस्व विभाग के बुनियादी कामकाज की भी जानकारी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी डीडीपीओ को राजस्व प्रशिक्षण शीघ्र दिया जाए ताकि विभाग का कार्य और सुचारू रूप से चल सके।