राज्य में शराब माफियाओं पर नकेल कसते पंजाब के वित्त, योजना, आबकारी और कराधान मंत्री एडवोकेट हरपाल सिंह चीमा ने शुक्रवार को आबकारी विभाग द्वारा लागू किए जा रहे ट्रैक एंड ट्रेस प्रोजेक्ट के तहत मोबाइल आधारित ‘एक्साइज क्यूआर कोड लेबल वेरिफिकेशन सिटीजन ऐप’ लॉन्च किया।
आबकारी एवं कराधान भवन में इस नागरिक केंद्रित ऐप को लॉन्च करते हुए हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि यह क्यूआर कोड बेस मोबाइल ऐप यह सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम है कि राज्य में नकली, नकली या बिना शुल्क वाली शराब की बिक्री न हो सके।
उन्होंने कहा कि इस पहल से उत्पाद शुल्क की चोरी पर एक और रोक लगाने के अलावा उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य को बचाने में मदद मिलेगी। मंत्री ने एक 24X7 हेल्पलाइन नंबर 9875961126 भी लॉन्च किया और आम जनता से इस हेल्पलाइन पर ऐसी किसी भी गतिविधि की सूचना देकर अवैध शराब व्यापार के खिलाफ राज्य सरकार की पहल का समर्थन करने की अपील की।
एडवोकेट चीमा ने इस ऐप पर उपलब्ध सुविधाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उपभोक्ता अब क्यूआर स्कैन करके अपने द्वारा खरीदी गई बोतलबंद शराब की सत्यता की जांच कर सकते हैं।
इस मोबाइल ऐप का उपयोग कर शराब की बोतल पर चिपका कोड। उन्होंने कहा कि उपभोक्ता बोतल लेबल कोड, डिस्टिलर/बॉटलर्स का नाम, ब्रांड का नाम, पैक की मात्रा, शराब की ताकत और निर्माण की तारीख जानने में सक्षम होंगे, केवल बोतल की प्रत्येक बोतल पर चिपकाए गए क्यूआर कोड को स्कैन करके।
प्रदेश भर में बिक रही शराब इस मोबाइल ऐप को किसी भी एंड्रॉइड के साथ-साथ आईओएस संचालित मोबाइल फोन पर डाउनलोड और इंस्टॉल किया जा सकता है। मोबाइल ऐप गूगल प्ले स्टोर और एप्पल स्टोर से मुफ्त डाउनलोड के लिए उपलब्ध है।
एडवोकेट चीमा ने आगे कहा कि इस ऐप को ट्रैक एंड ट्रेस प्रोजेक्ट के साथ एकीकृत किया गया है, इस प्रकार, उपभोक्ता इस सुविधा का उपयोग करके किसी भी अनियमितता की रिपोर्ट सीधे आबकारी विभाग को कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि ‘ट्रैक एंड ट्रेस’ प्रोजेक्ट के माध्यम से विभाग राज्य में पूरी शराब आपूर्ति श्रृंखला में शराब को ट्रैक और ट्रेस कर सकता है। उन्होंने कहा कि यह न केवल आबकारी विभाग बल्कि शराब कारोबार के अन्य हितधारकों को पूरी आपूर्ति श्रृंखला की निगरानी करने में सक्षम बनाता है।
इस दौरान आबकारी आयुक्त वरुण रूजम ने मंत्री को अवगत कराया कि आबकारी विभाग के ट्रैक एंड ट्रेस प्रोजेक्ट के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि राज्य में बिकने वाली प्रत्येक बोतल पर क्यूआर कोड का स्टीकर लगा हो ताकि किसी भी ग्राहक को खरीदी गई शराब की बोतल की तत्काल जानकारी मिल सके।