कूनो-पालपुर नेशनल पार्क में नामीबिया से लाए गए 8 चीते 48 घंटे बीत जाने के बाद भी थोड़े तनाव में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब इन्हें बाड़े में छोड़ा था, उसके एक घंटे तक डरे-सहमे रहे। नामीबिया से टीम के साथ आए प्रीटोरिया यूनिवर्सिटी में वन्यजीव चिकित्सा विशेषज्ञ एड्रियन टॉर्डिफे ने बताया कि चीते तनाव में हैं, लेकिन इच्छाशक्ति से जल्द ही अनुकूल हो जाएंगे। नामीबिया में हमने चीतों को उनके परिचित माहौल से निकालने पर कई दिनों तक काम किया, लेकिन नए माहौल में ढलने में वक्त लगता है।
इंसानों की नजदीकी और पिजरों की वजह से तनाव
विशेषज्ञ कहते हैं कि जंगली चीतों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना काफी चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि चीते इंसानों की नजदीकी और पिंजरों की वजह से तनाव में आ जाते हैं। मप्र के पीसीसीएफ (प्रधान मुख्य वन संरक्षक) जेएस चौहान ने बताया कि इतनी लंबी यात्रा के बाद चीते तनाव में थे। जब उन्हें बाड़े में छोड़ा गया तो उनका व्यवहार सामान्य दिखाई दिया। एक महीने में वे माहौल में ढल जाएंगे। चीतों को एक महाद्वीप से दूसरे महाद्वीप में शिफ्ट करना एक बड़ी घटना है।
सैटेलाइट कॉलर से ईमेल पर मिलेगी चीतों की जानकारी
हर चीते को ट्रैक किया जाएगा। हर चीते के लिए एक टीम बनाई गई है। सभी को सैटेलाइट कॉलर लगाया गया है। इससे चीतों की गतिविधियों की जानकारी ईमेल पर मिलेगी। बता दें कि नामीबिया से कूनो तक 9 हजार किलोमीटर सफर के दौरान वे करीब 10 घंटे तक पिंजरे में रहे। नामीबिया से भारत लाने के दौरान चीतों को खाली पेट रखा गया था।
